मध्य प्रदेश का गठन|Formation of Madhya Pradesh

मध्य प्रदेश का गठन

भारत का हृदय प्रदेश कहा जाने वाला मध्य प्रदेश भारत का एक भू-आवेष्ठित राज्य है। मध्य प्रदेश का वर्तमान स्वरूप, जो आज हमें दिखाई देता है, वह एक लम्बी प्रक्रिया का परिणाम है। स्वतंत्रता पूर्व मध्य प्रदेश नाम से कोई भी राज्य अस्तित्व में नहीं था। हालांकि सेन्ट्रल प्रोविन्स एण्ड बरार नामक एक प्रांत हुआ करता था, जिसकी सीमाएं वर्तमान मध्य प्रदेश की सीमाओं से बिल्कुल भिन्न थी। ब्रिटिशकाल में मध्य प्रदेश का स्वरूप पूर्णतः पृथक था ब्रिटिशकाल में मध्य प्रदेश को सेन्ट्रल प्रोविन्स एण्ड बरार के नाम से जाना जाता था ।

                                       स्वतंत्रता के पश्चात् आधुनिक मध्य प्रदेश के निर्माण के क्रम में इसके स्वरूप में कई परिवर्तन किए गए। सर्वप्रथम सेन्ट्रल प्रोविन्स एण्ड बरार, बघेलखण्ड, विदर्भ, छत्तीसगढ़ तथा दण्डकारण्य की रियासतों को मिलाकर पार्ट ए स्टेट’ बनाया गया तथा इसकी राजधानी नागपुर रखी गई।

 मध्य भारत (पश्चिम की रियासतों को मिलाकर बनाया गया) को ‘पार्ट बी स्टेट’ का दर्जा दिया गया, तथा इसकी राजधानी ग्वालियर एवं इन्दौर बनाई गई।

 इसके अतिरिक्त विन्ध्य प्रदेश (उत्तर की रियासतों को मिलाकर बनाया गया) को ‘पार्ट सी स्टेट’ का दर्जा देकर इसकी राजधानी रीवा को बनाया गया। भोपाल को एक स्वतंत्र प्रांत बनाकर ‘पार्ट सी’ स्टेट के अन्तर्गत ही रखा गया। यह विभाजन भौगोलिक आधार पर किया गया था, न कि भाषागत् या क्षेत्रीय पर |

           1953 में फजल अली की अध्यक्षता में राज्य पुनर्गठन आयोग की स्थापना की गई तथा हृदय नाथ कुंजरू एवं के. एम. पणिकर इसके सदस्य थे, जिन्होंने अपनी रिपोर्ट 1955 को सौंपी। आयोग की अनुशंसा पर 1 नवम्बर, 1956 को मध्य प्रदेश अस्तित्व में आया। आयोग की अनुशंसा पर मध्य प्रदेश के गठन हेतु निम्नलिखित परिवर्तन किए गए

  •  सर्वप्रथम पार्ट ‘ए’ स्टेट के मराठी भाषी 8 जिलों को महाराष्ट्र राज्य को देकर शेष पार्ट ए को मध्य प्रदेश में मिला लिया गया। ये मराठी भाषायी 8 जिले बुलढाना, वर्धा, भण्डारा, अमरावती, अकोला, चांदा, यवतमाल तथा नागपुर थे |
  • पार्ट ‘बी’ स्टेट को कुछ परिवर्तनों के साथ मध्य प्रदेश में मिलाया गया। इन परिवर्तनों में सर्वप्रथम मन्दसौर जिले की भानपुरा तहसील का सुनेलटप्पा राजस्थान को दिया गया, जबकि कोटा की सिरोंज तहसील को मध्य प्रदेश के विदिशा में मिलाया गया।
  • पार्ट ‘सी’ स्टेट को भोपाल रियासत सहित ज्यों का त्यों मध्य प्रदेश में मिला लिया गया।

                  इस सम्पूर्ण प्रक्रिया के पश्चात् 1 नवम्बर, 1956 को मध्य प्रदेश का गठन पूर्ण हुआ तथा इसकी राजधानी भोपाल रखी गईं। यहाँ उल्लेखनीय है कि भोपाल तत्कालीन समय में स्वतंत्र जिला नहीं था बल्कि सीहोर जिले की तहसील था। 1 नवम्बर, 1956 ई. को जिस मध्ये प्रदेश का निर्माण हुआ, उसमें 8 संभाग और 43 जिले थे। इस समय मध्य प्रदेश का क्षेत्रफल 443446 वर्ग किमी था तथा क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्य प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य बना। इस नवनिर्मित मध्य प्रदेश के प्रथम राज्यपाल पट्टाभि सीतारमैया को तथा मुख्यमंत्री पं. रविशंकर शुक्ल को बनाया गया।

                    मध्य प्रदेश के गठन के पश्चात् भी समय-समय पर इसमें परिवर्तन होते रहे। 1972 में 2 जिलों भोपाल तथा राजनांदगांव का निर्माण हुआ, जिससे मध्य प्रदेश में जिलों की संख्या 45 हो गई।

1982 ई. में बी. आर. दवे की अध्यक्षता में एक जिला पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया, जिसकी अनुशंसा पर दिग्विजय सरकार द्वारा 1998 में 10 नए जिले बनाने का निर्णय लिया गया, किन्तु क्षेत्रीय विवाद उठने के कारण 1998 में सिंहदेव कमेटी का गठन किया गया तथा इस कमेटी की अनुशंसा पर 6 नए जिले बनाए गए। इस प्रकार 1998 में कुल 16 नए जिलों का निर्माण किया गया, जिससे मध्य प्रदेश में जिलों की संख्या 61 हो गई।

                                      मई, 1998 में 10 नए जिलों का गठन किया गया, जिनमें मध्य प्रदेश में 4 नए जिले बड़वानी, कटनी, श्योपुर एवं डिंडोरी गठित किए गए, शेष 6 जिले वर्तमान में छत्तीसगढ़ में हैं। जुलाई, 1998 में 6 नए जिलों का निर्माण किया गया, जिनमें मध्य प्रदेश में 3 नए जिले हरदा, उमरिया एवं नीमच किया गया, शेष 3 जिले वर्तमान में छत्तीसगढ़ में हैं। इस प्रकार मध्य प्रदेश में 61 जिले एवं 12 संभाग हो गए।

सन् 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर भारत के 26वें राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व मे आया | जिससे 1 नवम्बर, 2000 को मध्य प्रदेश का वर्तमान स्वरूप अस्तित्व में आया। 16 जिले छत्तीसगढ़ में चले जाने से मध्य प्रदेश में 45 जिले तथा 9 संभाग शेष रह गए। वर्तमान में मध्य प्रदेश का क्षेत्रफल 3,08,252 वर्ग किमी रह गया तथा क्षेत्रफल की दृष्टि से मध्य प्रदेश देश में दूसरा सबसे बड़ा राज्य हो गया (क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य राजस्थान है। विभाजन के समय मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह तथा राज्यपाल भाई महावीर थे।

 15 अगस्त, 2003 को बोस समिति की सिफारिश के आधार पर मध्य प्रदेश में 3 नए जिले – गुना से अशोकनगर, खण्डवा से बुरहानपुर तथा शहडोल से अनूपपुर का निर्माण किया गया, जिससे प्रदेश में जिलों की संख्या 48 हो गई।

                तत्पश्चात् 17 मई, 2008 को झाबुआ से अलीराजपुर (49वां) तथा 24 मई, 2008 को सीधी से सिंगरौली (50वां) का निर्माण हुआ। 14 जून, 2008 को शहडोल संभाग का गठन किया गया। इस प्रकार मध्य प्रदेश में 50 जिले और 10 संभाग हो गए। 16 अगस्त, 2013 को शाजापुर से एक नया जिला आगर मालवा अस्तित्व में आया। इस प्रकार मध्य प्रदेश में 51 जिले तथा 10 संभाग हो गए। 11वें संभाग के रूप में छिन्दवाड़ा संभाग का गठन प्रस्तावित है। 52वां जिले के रूप में टीकमगढ़ से पृथक करके निवाड़ी जिला 1 अक्टूबर 2018 को बनाया गया | 53 वां जिले के रूप मे रीवा जिले से एक नया जिला मऊगंज 15 अगस्त 2023 को बनाया गया जिससे वर्तमान मे 53 जिले और 10 संभाग मध्य प्रदेश मे है |

  • 53 वां जिला मऊगंज रीवा से 15 अगस्त 2023 को पृथक करके बनाया गया है |
  • मऊगंज को 4 तहसीलों को मिलकर बनाया गया है मऊगंज,नईगढ़ी,हनुमना,देवतालाब
  • मऊगंज जिले मे 2 विधानसभा क्षेत्र मऊगंज,देवतालाब है |
  • मऊगंज जिले के प्रथम जिला दंडाधिकारी और कलेक्टर IAS अजय श्रीवास्तव की पदस्थापना की गई |
  • प्रथम पुलिस अधिक्षक वीरेंद्र जैन मऊगंज जिले की ज़िम्मेदारी सौपी गई |

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