मध्य प्रदेश की जलवायु | Climate of Madhya Pradesh

किसी भू-भाग पर लम्बे समय तक पाए जाने वाले तापमान की अवस्था, वर्षा की मात्रा एवं हवाओं की गति उस क्षेत्र की जलवायु को प्रदर्शित करते हैं। किसी क्षेत्र विशेष की दीर्घकालीन मौसमी दशाओं के सम्मिलित रूप को जलवायु कहते हैं। सम्पूर्ण भारत के समान मध्य प्रदेश में भी, जो कि भारत के केन्द्र में स्थित है, ऊष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु पाई जाती है। प्रदेश को जलवायु के आधार पर चार भागों में विभक्त किया गया है

उत्तर का मैदानी क्षेत्र

इसमें बुन्देलखण्ड, रीवा- पन्ना का पठार व मध्य भारत का पठार क्षेत्र स्थित है। इस क्षेत्र को जलवायु महाद्वीपीय प्रकार की है। मध्य प्रदेश के उत्तर में स्थित यह क्षेत्र के समुद्र से अत्याधिक दूरी तथा हिमालय की समीप है। इस क्षेत्र में ग्रीष्म ऋतु अत्यधिक गर्म व हिमालय की समीपता के कारण शीत ऋतु में अत्यधिक ठंडी होती है।

मालवा का पठारी क्षेत्र

 यह समजलवायु वाला क्षेत्र है। चीनी यात्री फाह्यान ने इसे सर्वश्रेष्ठ जलवायु वाले क्षेत्र के रूप में वर्णित किया है। इस क्षेत्र में ग्रीष्म ऋतु में न तो अधिक गर्मी पड़ती है और न ही शीत ऋतु अधिक ठंडी होती है। यहां सबसे अधिक वर्षों अरब सागर के मानसून से होती है। यह सबसे अच्छी जलवायु वाला क्षेत्र है।

विन्ध्याचल का पर्वतीय प्रदेश

 विन्ध्याचल पर्वत का क्षेत्र समजलवायु क्षेत्र है। इसमें अधिक गर्मी नहीं पड़ती और ठंड में भी साधारण ठंड पड़ती है। पदमही एवं अमरकंटक इसी क्षेत्र के अन्तर्गत आते हैं। मध्य प्रदेश के पूरब में होने के कारण यहां वर्षा की मात्रा अधिक है।

नर्मदा घाटी तथा उसका दक्षिणी क्षेत्र

इस भाग में नर्मदा घाटी तथा उसके दक्षिण में बालाघाट से लेकर बड़वानी तक के क्षेत्र शामिल हैं। यह क्षेत्र भूमध्यरेखा तथा समुद्र से निकटता वाला क्षेत्र है, जिसके कारण यहां ग्रीष्मकाल में अत्यधिक गर्म तथा शीतकाल में सामान्य ठंडी पाई जाती है।

सर्वाधिक तापमान –  गंजवासौदा (विदिशा)

न्यूनतम तापमान  – शिवपुरी

सर्वाधिक वर्षा     – पचमढ़ी (199 सेमी)

न्यूनतम वर्षा     – भिण्ड (55 सेमी)

औसत वर्षा       – 112 सेमी

ऋतु वैधशाला     – इंदौर

  • मध्य प्रदेश में वर्षा विषमता अत्यधिक है।
  • नोट – मध्य प्रदेश में बंगाल की खाड़ी व अरब सागर दोनों से वर्षा होती है।

मध्य प्रदेश की जलवायु

पूरे देश की तरह मध्य प्रदेश की जलवायु भी उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु है। मध्य प्रदेश की जलवायु को उष्णकटिबंधीय स्वरूप प्रदान करने के लिए प्रदेश के मध्य से गुजरने वाली कर्क रेखा उत्तरदायी है, जबकि दक्षिण-पश्चिम मानसून से प्राप्त होने वाली वर्षा इसे मानसूनी जलवायु का स्वरूप प्रदान करती है। मध्य प्रदेश में तीन प्रकार की ऋतुएं पाई जाती हैं |

शीत ऋतु

             राज्य में नवम्बर से फरवरी तक शीत ऋतु रहती है। इस ऋतु में सूर्य की स्थिति भूमध्य रेखा के दक्षिण में होती है, जिससे मध्य प्रदेश का तापमान कम रहता है। इस ऋतु को सियाला भी कहते हैं। इस ऋतु में कुछ वर्षा भी प्राप्त होती है। इसे मावठ नाम से जाना जाता है, जिससे रबी की फसलों को लाभ होता है। इस ऋतु में वर्षा चक्रवातों के कारण होती है। मध्य प्रदेश में शीतकालीन वर्षा पश्चिमी विक्षोभ का परिणाम है। प्रदेश में शीतकाल में पश्चिमी विक्षोभ से होने वाली वर्षा को मावठ कहते हैं। मध्य प्रदेश में सबसे कम तापमान दिसम्बर एवं जनवरी माह में होता है। दिसम्बर से जनवरी के मध्य ठंड का प्रकोप सर्वाधिक होता है।

ग्रीष्म ऋतु

 इस ऋतु में तापमान मार्च से जून तक लगातार बढ़ता जाता है, क्योंकि इस समय सूर्य उत्तरायण होता है। इस को युनाला । भी कहते हैं। मध्य प्रदेश का सर्वाधिक गर्म स्थान गंजबसौदा (विदिशा) है। बड़वानी में इससे अधिक तापमान रहा है, लेकिन आधिकारिक रूप से गंजबासौदा का मान्य है। इसके अलावा ग्वालियर, दतिया, खजुराहो (छतरपुर), (छतरपुर) भी अत्यधिक गर्म क्षेत्र हैं। प्रदेश का अधिकतम् तापमान मई माह में रहता है।

वर्षा ऋतु

 राज्य में मध्य जून से सितम्बर तक वर्षा ऋतु का समय होता है। राज्य में वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून की बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों ही शाखाओं से होती है। मध्य प्रदेश में वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून से होती है। प्रदेश में सर्वाधिक वर्षा जुलाई तथा अगस्त माह में होती है। मध्य प्रदेश में औसत वार्षिक वर्षा 112 सेमी है, जिसमें पूर्वी भागों में अत्यधिक 140 से 165 सेमी तथा क्रमशः पश्चिमी एवं उत्तर-पश्चिमी भागों में वर्षा घटती जाती है।

                            सबसे कम वर्षा गोहद (भिण्ड) में मात्र 55 सेमी होती है तथा सबसे अधिक वर्षा पचमढ़ी (होशंगाबाद) में 199 सेमी होती है। प्रदेश में सभी जगहों पर वर्षा एकसमान नहीं है। पूर्वी व दक्षिणी-पूर्वी मध्य प्रदेश में वर्षा ज्यादा होती है, जबकि पश्चिमी मध्य प्रदेश में अपेक्षाकृत कम। इस ऋतु को चौमासा भी कहते हैं। मध्य प्रदेश में अधिकांश वर्षा बंगाल की खाड़ी शाखा से होती है। मध्य प्रदेश में पूर्व से पश्चिम एवं दक्षिण से उत्तर की ओर वर्षा की मात्रा क्रमशः घटती जाती है। मध्य प्रदेश में सबसे अधिक वर्षा जुलाई एवं अगस्त माह में होती है।

  • मध्य प्रदेश का औसतन तापमान 21°C आंका गया है।
  • सितम्बर-अक्टूबर माह में पड़ने वाली गर्मी को प्रदेश की द्वितीय ग्रीष्म ऋतु कहा जाता है।
  • मध्य प्रदेश के लगभग सभी भागों में दैनिक तापान्तर मार्च माह में सर्वाधिक रहता है।
  • मध्य प्रदेश में ऋतु सम्बन्धी आंकड़े एकत्रित करने वाली ऋतुवेध शाला इंदौर में है।
  • प्रदेश के विन्ध्य क्षेत्र में अरब सागर एवं बंगाल की खाड़ी दोनों मानसूनों से वर्षा होती है।
  • शीत ऋतु    –   सियाला  ( नव्म्वर से फरवरी )
  • ग्रीष्म ऋतु   –   यूनाला   ( फरवरी  से जून  )
  • वर्षा ऋतु    –   चौमासा   ( जून से सितंवर  )

Leave a Comment